शेर-ओ-शायरी

 


शेर-ओ-शायरी


दुआएं जो मैं मांगता था वो कबूल हो गई,

दुआएं जो मैं मांगता था वो कबूल हो गई,

ऐ खुदा तूने तो पूरी करदी दुआ,

पर लगता है मांगने में ही मुझसे कोई भूल हो गई l


बताना चाहते हैं हाल-ऐ-दिल हम भी अपनी मोहब्बत उनसे,

पर कभी बता न पाते हैं,

जिनके पैरो को छु के मिलती हैं जन्नत हमे,

हम दिल में तो उनके लिए भी ख्वाशिए हज़ारो रखते हैं,

पर कभी अपने लफ्ज़ो पे ला ना पाते हैं l


जी तो रहे हैं हम अपनी ये ज़िन्दगी,

पर तन्हाई के आलम में,

रिश्तो में रोज़ आती हैं दीवारे कुछ इन्ही आलम में,

पर अब क्या करे और कैसे ना जीए,

सोचा था कभी ख़ुशी देगी तो कभी ग़म,

पर बेदर्द ही बन कर रह गई हैं अब ये ज़िन्दगी l


बहुत से पहलु हैं इस छोटी सी दुनिया के लिफाफे में,  

बहुत से आंसू हैं उन हसने वाले नौजवानो में,  

बहुत कुछ सह रहे हैं वो जो कुछ कह नहीं पातें,

बहुत कुछ कहना चाहते है वो भी जो बोल नहीं पातें l



धन्यवाद्!




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