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Showing posts from 2021

पंक्तिया - स्कूल की यादें

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  पंक्तिया - स्कूल की यादें   स्कूल में रोज़ देरी से जाना ,   और अपनी हाज़री दोस्तों से लगवाना l   होमवर्क पूरा करके ना ले जाना , और दोस्तों की कॉपी अध्यापक को दिखाना l   कक्षा में अध्यापक का  ना  होना , और सब दोस्तों का साथ मिल कर चिल्लाना l   अध्यापक से रोज़ मार खाना , और हर दूसरे दिन उनका हमें मुर्गा बनाना l   स्कूल की फीस टाइम पर ना भरना , और अध्यापक का फिर माता-पिता को बुलाना l   कक्षा की सफाई के बहाने प्राथना में ना जाना , और दूसरो के डब्बो से चोरी से खाना l माता-पिता का रोज़ पढ़ो पढ़ो चिल्लाना , और दोस्तों के साथ पढाई के बहाने खेलने चले जाना l   परीक्षा से रात भर पहले पढाई करना , और परीक्षा के दिन राम भरोसे रहना l   अध्यापको के अलग अलग नाम रखना , और पकडे जाने पे किसी और को फसाना l   शाम को लाइट जाने का इंतज़ार करना , और दोस्तों के साथ छुपन छुपाई खेलना l   स्कूल ख़तम होने से पहले निकल जाना , और घर पे अलग अलग कहानी सुनना l   गणित और साइंस क...

दरबार-ए-आशिकी

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दरबार-ए-आशिकी प्यार करने वाले जरा सोच के करियो , पाना ही प्यार नहीं , अपना लिया उसने तो किस्मत में जीत उसकी , और ना अपनाया तो तेरी हार नहीं l तुम्हे मांग के खुदा से , ना जाने हमने ऐसा क्या मांग लिया , रूठा है वो तबसे ही हमसे ऐसे , जैसे जहां उसका हमने सारा मांग लिया l बातें कुछ अनकही रह गई , मुलाकाते कुछ अधूरी रह गई , कहना तो हम भी उनसे बहुत कुछ चाहते थे , कुछ वो सुन न पाए और , कुछ कहने में ही हमसे देरी हो गई l अब तो बस एक ही ख्वाइश है के , वो सामने तो हो पर सामना ना हो , हमें उनसे प्यार तो हो पर इक़रार ना हो l हम प्यार उन्ही से करते हैं जिन्हे बता नहीं पातें , और जिन्हे बता दे   हाल-ए-दिल मोहब्बत अपनी , फिर वो हमें अपना   नहीं पातें  l उनके हाथो में हमने अपनी लकीरे देखि , उनके चेहरे पे अपनी मुस्कान , उनको दिल में हमने कुछ इस क़दर हैं बसा लिया , ना हो समझ पाए ना भगवान् l दिल्ली ने हमें कुछ इस क़दर हैं गले लगाया , दिल्लगी की हमने दिल्ली में , और दिल्ली में ही अपना दिल हैं गवाया l एक शक्श था जिसको मैंने जाना थोड़ा पहचाना , चम...

हलके फुल्के - विचार

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  हलके फुल्के – विचार लोग कहते हैं प्यार से मीठी कोई चीज़ नहीं होती , पर कम्बख्त वो ये क्यों भूल जाते हैं , के मौत तो डाइबटीज से भी होती हैं l दिल भरा था तो कोई सुनने वाला नहीं था , अब लोग पूछते हैं के बात क्या हुई l बहुत जल्दी बदलते हैं लोग इस दुनिया में , बहुत वक़्त लगता हैं लोगो की यहाँ फितरत समझने में l कुछ लोग प्यार को अपनी ज़िन्दगी बना लेते हैं , और उन्हें जैसे ही अपने प्यार से प्यारी कोई और मिले , उसे अपना बना लेते हैं l हम साथ थे उनके कुछ इस वजह से , के वो बस वजह पूछते रह गए , और हम साथ निभाते रह गए l धन्यवाद्!

शेर-ओ-शायरी

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  शेर-ओ-शायरी दुआएं जो मैं मांगता था वो कबूल हो गई , दुआएं जो मैं मांगता था वो कबूल हो गई , ऐ खुदा तूने तो पूरी करदी दुआ , पर लगता है मांगने में ही  मुझसे  कोई भूल हो गई l बताना चाहते हैं हाल-ऐ-दिल हम भी अपनी मोहब्बत उनसे , पर कभी बता न पाते हैं , जिनके पैरो को छु के मिलती हैं जन्नत हमे , हम दिल में तो उनके लिए भी ख्वाशिए हज़ारो रखते हैं , पर कभी अपने लफ्ज़ो पे ला ना पाते हैं l जी तो रहे हैं हम अपनी ये ज़िन्दगी , पर तन्हाई के आलम में , रिश्तो में रोज़ आती हैं दीवारे कुछ इन्ही आलम में , पर अब क्या करे और कैसे ना जीए , सोचा था कभी ख़ुशी देगी तो कभी ग़म , पर बेदर्द ही बन कर रह गई हैं अब ये ज़िन्दगी l बहुत से पहलु हैं इस छोटी सी दुनिया के लिफाफे में ,   बहुत से आंसू हैं उन हसने वाले नौजवानो में ,   बहुत कुछ सह रहे हैं वो जो कुछ कह नहीं पातें , बहुत कुछ कहना चाहते है वो भी जो बोल नहीं पातें l धन्यवाद्!

कविता - मेरा गाँव

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शीर्षक -   मेरा गाँव वो मोहल्ला याद हैं, वो गलिया याद हैं, वो रातों को सोचते रहना, वो दिन के ख्वाब याद हैं मुझे, मेरा गाँव याद है मुझे l  वो वादे याद हैं, वो इरादे याद हैं, वो बारिश की रिमझिम, वो बादलो का गरजना याद हैं मुझे, मेरा गाँव याद है मुझे l  वो दोस्तों से शाम को बगीचे में मिलना, वो किसी और से अपने पैगाम उन तक भिजवाना, वो उनके जवाब के इंतज़ार की ख़ुशी में अपना वक़्त बिताना याद है मुझे, मेरा गाँव याद है मुझे l  वो गलियों में रुक रुक के उनको देखना, वो उनके मुड़ने पे खुद निकल जाना, वो उनसे बात करने की चाह में उनकी सहेलियों को दोस्त बनाना, वो उन्हें एक बार देखने के बहाने बार बार उनकी गली के चक्कर लगाना याद हैं मुझे, मेरा गाँव याद है मुझे l  वो नजरे झुका के उनका चले जाना, वो कहना बहुत था पर कुछ कह ना पाना, वो सोच सोच के रातो को अपनी नींदें उड़ाना, वो सुबह उठ के फिर से उसी सोच में डूब जाना याद है मुझे, मेरा गाँव याद है मुझे l  वो पानी का छत्त से टपकना, वो रात को अँधेरे में दिए जलना, वो माँ का चूल्हे पे रोटी बनाना, वो साथ में बिठा के अपने हाथो से मुझे खिलाना य...