दरबार-ए-आशिकी

दरबार-ए-आशिकी प्यार करने वाले जरा सोच के करियो , पाना ही प्यार नहीं , अपना लिया उसने तो किस्मत में जीत उसकी , और ना अपनाया तो तेरी हार नहीं l तुम्हे मांग के खुदा से , ना जाने हमने ऐसा क्या मांग लिया , रूठा है वो तबसे ही हमसे ऐसे , जैसे जहां उसका हमने सारा मांग लिया l बातें कुछ अनकही रह गई , मुलाकाते कुछ अधूरी रह गई , कहना तो हम भी उनसे बहुत कुछ चाहते थे , कुछ वो सुन न पाए और , कुछ कहने में ही हमसे देरी हो गई l अब तो बस एक ही ख्वाइश है के , वो सामने तो हो पर सामना ना हो , हमें उनसे प्यार तो हो पर इक़रार ना हो l हम प्यार उन्ही से करते हैं जिन्हे बता नहीं पातें , और जिन्हे बता दे हाल-ए-दिल मोहब्बत अपनी , फिर वो हमें अपना नहीं पातें l उनके हाथो में हमने अपनी लकीरे देखि , उनके चेहरे पे अपनी मुस्कान , उनको दिल में हमने कुछ इस क़दर हैं बसा लिया , ना हो समझ पाए ना भगवान् l दिल्ली ने हमें कुछ इस क़दर हैं गले लगाया , दिल्लगी की हमने दिल्ली में , और दिल्ली में ही अपना दिल हैं गवाया l एक शक्श था जिसको मैंने जाना थोड़ा पहचाना , चम...